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कोरबा जिले के गांव खरहरी के ग्रामीण होली के त्योहार मनाने से दहशत में आ जाते हैं

कोरबा जिले के गांव करहरी के ग्रामीण होली के त्योहार मनाने से दहशत में आ जाते हैं 

कोरबा जिले के गांव खरहरी के ग्रामीण होली के त्योहार मनाने से दहशत में आ जाते हैं

पूरे प्रदेशों में भर मे हर साल होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन छत्तीस गढ़ से एक खबर निकल कर सामने आ रही है की जहां कोरबा जिले के कहहरी गांव के लोग होली खेलन के नाम से दहशत मे आ जाते है पिछले 150 साल से होली नहीं मनाई गई है ऐसा क्या कारण है हम बात कर रहे हैं आइए जानते हैं कोरबा जिले से मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूरी ग्राम खरहरी का है जहां इस गांव में कोई वर्ष पूर्व होली का त्यौहार नहीं मनाया गया है गांव के बुजुर्गों का माना है की इस गांव में एक ग्रामीण के द्वारा होली मनाया गया तो गांव भीषण आग लग गई थी और गांव के हालात बेकाबू हो गए थे गांव भर में महामारी की बीमारी फैल गई थी इस दौरान गांव के लोगों का भारी नुकसान हुआ था और हर तरफ अशांति अशांति ही ही फैल गई थी तब से होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता लेकिन एक रोज गांव के बैगा को आधी रात को मां मड़वा रानी ने उसके सपने में आकर कहा की अगर मेरे प्रकोप से बचना है तो मैं आपको एक उपाय बता रही हूं उसे आप लोग को करना होगा देवी ने कहा की इस गांव में कभी भी होली का त्यौहार नहीं मनाया जाएगा और ऐसा कहकर वह उनके सपनों से चली जाती है इसके बाद से गांव में कभी भी होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है अगर गांव का कोई बच्चा या युवा अगर त्यौहार मनाने की कोशिश करता है या कहीं और जाकर त्यौहार मनाने को जीत करता है तो गांव के बुजुर्ग उसका बहिष्कार कर देते हैं मान्यता निश्चित रूप से होली के त्यौहार को फीका करती है जो रंग और खुशियों का प्रतीक है देखना यह है कि क्या करहरी गांव कभी इस जान स्वरूप से बाहर निकल पाएगा और रंगों के त्यौहार को खुशी से मना पाएगा या इस गांव में यह होली का त्यौहार मनाने के लिए वंचित रहेंगे

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